सोनपुर मेला...!!

सोनपुर मेला एशिया का सबसे बड़ा पशुओं का मेला है। इसका दूसरा नाम हरिहर क्षेत्र का सोनपुर मेला है। यह कार्तिक माह के पूर्णिमा से शुरू होकर 1 महीने तक चलता है। 

कार्तिक पूर्णिमा के दिन लोग सोनपुर के निकट गंडक नदी के कालीघाट से स्नान करके बाबा हरिहरनाथ को जल चढ़ाते हैं और उसी दिन से मेला की शुभारंभ होती हैं।

1 महीने चलने वाले इस मेला में दिन और रात बिल्कुल रंगीन हो जाते हैं। कई तरह के दुकाने जैसे लकड़ी के कपड़े के बर्तन के खिलौने के मिठाइयां के इत्यादि लगते हैं। सोनपुर मेले का मिया मिठाई खजूर पापड़ी का तो कोई जवाब ही नहीं है। यह हमारे सोनपुर मेला को एक अलग पहचान देती है जो पूरे साल में 1 महीने ही मिलता है हमें।

मेले में कई तरह के झूले सर्कस जादू का खेल इत्यादि चीजों का रोमांचक रहता है। सोनपुर मेले में हर साल कई तरह के प्रदर्शनी आते हैं जैसे कृषि प्रदर्शनी खेल प्रदर्शनी आपदा विभाग का प्रदर्शनी रेलवे का प्रदर्शनी सड़क का प्रदर्शनी और कई तरह की चीजें जो विद्यार्थी और लोगों को काफी आकर्षित करता है अपनी तरफ।

मेले में एक जनसंपर्क विभाग का मंच होता है जहां से हर दिन कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। पूरे देश के कई क्षेत्रों से विभिन्न कलाकार आते हैं और नृत्य और संगीत का प्रक्रम दिखाते हैं।

बाबा हरिहर नाथ का मंदिर इस मेला का एक बहुत ही महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है लोग मेला घूमने से पहले बाबा हरिहर नाथ मंदिर में जल चढ़ाते हैं पूजा करते हैं और फिर मिले को घूमकर आनंद लेते हैं। सोनपुर मेला दिन की अपेक्षा रात में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लगती हैं।

यहां लगने वाला थिएटर इस मेले का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहचान देती है इसे देखने के लिए बिहार के अलग-अलग हिस्सों से लोग आते हैं। सोनपुर मेले में भारत के कई हिस्सों से ठंड के कपड़े बेचने वाले लोग आते हैं क्योंकि यह मेला ठंड के दिनों में लगता है और ठंड से जुड़े कपड़े जैसे कंबल रजाई जैकेट स्वेटर का बहुत बड़ा दुकान संपूर्ण मेले में लगते हैं।

इस मेले के बारे में जितना बताएं उतना कम है क्योंकि मेला के बारे में पढ़कर या सुनकर नहीं देखने से आनंद मिलेंगे।

धन्यवाद 🙏🙏


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